श्री शिवमहापुराण सती खंड में भगवान ने अपना गुप्त ज्ञान (नवधा भक्ति)
सती जगदंबा को दिया। वह कहते हैं कि भुक्ति-मुक्ति रूप फल को देने वाली
मेरी भक्ति ब्रहृम ज्ञान की माता है। भक्ति और ज्ञान में कोई भेद नहीं है।
मेरी भक्तिज्ञान एवं वैराग्य उत्पन्न करती है। मुक्ति भी इसकी दासी बनी
रहती है।
मियांवाला चौक स्थित शिवा गार्डन में चल रही श्री शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन कथा व्यास आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी ने यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जो महादेव की निंदा करता है और निंदा के वचनों को सुनता है, वह दोनों ही नरकगामी होते हैं। दो अक्षरों वाला नाम जिन मनुष्यों ने एक बार भी लिया, वह उनके समस्त पापों का नाश कर देता है। उन्होंने कहा कि महानंदा, चंचुला, पिंगला, शारदा, ऋषिका, आहुक आदि ने शिव भक्ति के प्रभाव से सद्गति प्राप्त की।
आचार्य ने कहा कि शिवमहापुराण कथा को सुनने मात्र से जिस प्रकार चित्त की शुद्धि हो जाती है, वैसी चित्त शुद्धि अन्य उपायों से नहीं होती। महादेव ने पार्वती जगदंबा के अत्यंत आग्रह से ही श्री शिवमहापुराण का सृजन किया।
इससे पूर्व, शिवभक्तों ने 11 हजार पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण कर उनका पूजन किया। सांध्य बेला में मुंबई से आए भजन गायकों ने शिव भजनों की छटा बिखेरी।
1.51 लाख पार्थिव शिवलिंग तमसा में किए विसर्जित
देवभूमि की सुख-समृद्धि, देश के चहुंमुखी विकास और विश्व शांति की मंगल कामना के साथ माता वैष्णो देवी गुफा मंदिर में निर्मित एक लाख 51 हजार पार्थिव शिवलिंगों को तमसा नदी में विसर्जित किया गया। इसके साथ ही 11 दिन से चल रही श्री शिवमहापुराण कथा भी पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गई। इससे पूर्व, श्री शिवमहापुराण कथा के अंतिम दिन कथा व्यास शास्त्री खीमानंद भट्ट ने शिवपुराण श्रवण का महत्व, सोमवार का पूजन, शिव की श्रेष्ठता आदि प्रसंगों का सविस्तार वर्णन किया जबकि, गुरु द्रोणाचार्य संस्कृत विद्यालय के आचार्यो ने स्वस्तिवाचन एवं रुद्रपाठ किया।
मियांवाला चौक स्थित शिवा गार्डन में चल रही श्री शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन कथा व्यास आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी ने यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जो महादेव की निंदा करता है और निंदा के वचनों को सुनता है, वह दोनों ही नरकगामी होते हैं। दो अक्षरों वाला नाम जिन मनुष्यों ने एक बार भी लिया, वह उनके समस्त पापों का नाश कर देता है। उन्होंने कहा कि महानंदा, चंचुला, पिंगला, शारदा, ऋषिका, आहुक आदि ने शिव भक्ति के प्रभाव से सद्गति प्राप्त की।
आचार्य ने कहा कि शिवमहापुराण कथा को सुनने मात्र से जिस प्रकार चित्त की शुद्धि हो जाती है, वैसी चित्त शुद्धि अन्य उपायों से नहीं होती। महादेव ने पार्वती जगदंबा के अत्यंत आग्रह से ही श्री शिवमहापुराण का सृजन किया।
इससे पूर्व, शिवभक्तों ने 11 हजार पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण कर उनका पूजन किया। सांध्य बेला में मुंबई से आए भजन गायकों ने शिव भजनों की छटा बिखेरी।
1.51 लाख पार्थिव शिवलिंग तमसा में किए विसर्जित
देवभूमि की सुख-समृद्धि, देश के चहुंमुखी विकास और विश्व शांति की मंगल कामना के साथ माता वैष्णो देवी गुफा मंदिर में निर्मित एक लाख 51 हजार पार्थिव शिवलिंगों को तमसा नदी में विसर्जित किया गया। इसके साथ ही 11 दिन से चल रही श्री शिवमहापुराण कथा भी पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गई। इससे पूर्व, श्री शिवमहापुराण कथा के अंतिम दिन कथा व्यास शास्त्री खीमानंद भट्ट ने शिवपुराण श्रवण का महत्व, सोमवार का पूजन, शिव की श्रेष्ठता आदि प्रसंगों का सविस्तार वर्णन किया जबकि, गुरु द्रोणाचार्य संस्कृत विद्यालय के आचार्यो ने स्वस्तिवाचन एवं रुद्रपाठ किया।
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