पीके: 5 सीन 5 विवाद?
आमिर ख़ान की फ़िल्म पीके में ऐसा क्या है जिसकी वजह से हिंदू, मुस्लिम और सिख धार्मिक संगठन फ़िल्म का विरोध कर रहे हैं.
बात ऐसे ही पांच सीनों की.1. पीके फ़िल्म में एक सीन है, जिसमें एक पुजारी एक शख़्स से कहता है कि अपने परिवार के एक बीमार आदमी को ठीक करने के लिए उसे हिमालय स्थित एक मंदिर में जाना चाहिए.
पीके किरदार इसमें आकर पूछता है कि क्या ये सच है कि क्या सभी इंसान भगवान के बेटे और बेटियां हैं. पुजारी हां कहता है, तो पीके दूसरा सवाल पूछता है, "कौन पिता पहले से परेशान अपने बेटे को एक मुश्किल यात्रा पर भेजना चाहेगा."
2. फ़िल्म के एक सीन में पीके भगवान शिव की भूमिका निभा रहे किरदार का पीछा करता हुआ नजर आता है और उनकी गर्दन में उनका ही त्रिशूल टिका देता है. बजरंग दल के उत्तर प्रदेश सचिव अज्जू चौहान ने बीबीसी से बताया, "फ़िल्म में भगवान शिव का अटपटे ढंग से चित्रण किया गया है."
3. फ़िल्म के गाने 'भगवान है कहां रे तू पूरे गाने में' पीके हर धर्म से जुड़ी मान्यताओं को निभाते नजर आता है और ये सब वे अपना रिमोट कंट्रोल हासिल करने के लिए करते हैं.
इसके बाद पीके इस निष्कर्ष पर भी पहुंचता है कि कमोबेश हर धर्म का गुरु अपने धर्म के नाम पर कारोबार कर मुनाफा कमा रहा है. बजरंग दल के अज्जू चौहान ने बीबीसी के अतुल चंद्रा को बताया," धर्म गुरुओं को फूहड़ता से प्रदर्शित किया गया है. भगवान के प्रति जो शब्दावली का इस्तेमाल हुआ है, वो भी ग़लत है."
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संयोजक जफ़रयाब जिलानी ने बीबीसी को बताया, "फ़िल्म बनाने वालों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि ये देश मज़हबी मुल्क है और इसलिए उनको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि किसी के जज़्बात को ठेस नहीं पहुंचे."
4. इस फ़िल्म को लेकर मुस्लिम संगठनों ने भी नाराजगी दिखाई है. आमिर ख़ान एक सीन में दरगाह की ओर वाइन लेकर जाते दिखाई देते हैं.
लेकिन बजरंग दल के अज्जू चौहान ने बीबीसी से कहा, " अगर फ़िल्म में आमिर ख़ान ने हिंदू धर्मगुरुओं की तरह ही इस्लामिक धर्मगुरुओं का मज़ाक उड़ाया होता, तो उनके ख़िलाफ़ फतवे जारी हो जाते और उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ता."
5. सिख समुदाय के लोग भी फ़िल्म को लेकर बेहद आहत हैं. फ़िल्म के एक सीन में एक सिख को खुले बालों में हिंदू पंडित के तौर पर दिखाया गया है (इस सीन में ये दिखाया गया है कि सभी धर्म को लोग अपने कपड़े बदल लेते हैं, हिंदू सिख बन जाता है, ईसाई मुसलमान बन जाते हैं).
सिख समुदाय के लोगों की आपत्ति ये है कि सिख खुले बाल में नहीं घुमते फिरते. इस फ़िल्म के एक सीन में एक सिख को अपनी पत्नी को मैरिज एनिवर्सरी की पार्टी देने के लिए झूठ बोलकर भीख मांगते हुए भी दिखाया गया है.
इन विवादों पर आमिर ख़ान ने कहा है कि फ़िल्म के इन सीनों को पूरे सिक्वेंस देखने से कहानी समझ में आएगी और इन सीनों को फ़िल्म के सिचुएशन से अलग कर नहीं देखा जाना चाहिए.
बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान की फिल्म 'पीके' को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्रदेश सरकार की तरफ से फिल्म को टैक्स फ्री किए जाने के बाद से हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन को तेज कर दिया है.
इस क्रम में रविवार को हिंदू महासभा के
कार्यकर्ताओं ने लालबाग स्थित नावेल्टी सिनेमाघर पहुंच करीब 20 मिनट तक
टिकट काउंटर बंद करा दिया. साथ ही फिल्म के पोस्टर फाड़कर अंडे भी फेंके.
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर काफी मशक्कत के बाद कार्यकर्ताओं को शांत कराया.
महासभा
के दो दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ता रविवार को फिल्म 'पीके' को बंद कराने के
उद्देश्य से लालबाग स्थित नावेल्टी सिनेमाघर पहुंच गए. सभी कार्यकर्ता सभा
के प्रचारक दिनेश पांडेय के नेतृत्व में पहुंचे थे. इस दौरान कार्यकर्ताओं
फिल्म बंद किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने लगे. इस बीच कुछ
कार्यकर्ताओं ने सिनेमाघर के टिकट काउंटर को करीब 20 मिनट तक बंद करा दिया.
प्रदर्शनकारियों
ने फिल्म के पोस्टरों को फाड़कर सिनेमाघर की एंट्री गेट के ऊपर लगे बड़े
पोस्टर पर अंडे फेंक विरोध जताया. कार्यकर्ताओं के बढ़ते उपद्रव की भनक
लगते ही भारी संख्या में पुलिस बल ने मौके के पहुंचकर उन्हें शांत कराया.
इस
दौरान कार्यकर्ताओं से संबोधन में श्याम सोनकर ने कहा कि फिल्म 'पीके' के
माध्यम से हिंदू देवी-देवताओं का उपहास किया गया है. इसके साथ ही भारतीय
संस्कृति का मजाक उड़ाए जाने के अलावा लव जिहाद को बढ़ावा दिया गया है.
सोनकर ने बताया कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फिल्म पर यूपी में बैन लगाने
के बजाए टैक्स फ्री करके जले पर नमक छिड़कने का काम किया है.
आपको
बता दें कि यपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस फिल्म को देखने के बाद
कहा है कि ऐसी फिल्मों को 'टैक्स फ्री' किया जाना चाहिये.
इंदौर में साधु-संत पड़े 'पीके' के पीछे
मध्य प्रदेश के इंदौर में साधु-संतों
के एक दल ने रविवार को 'पीके' फिल्म देखी और सिनमाहॉल से निकले ही इस पर
पाबंदी लगाने की मांग की. साधु-संतों का कहना है कि इस फिल्म में हिंदू
धर्म के खिलाफ टीका-टिप्पणी की गई है. यह भावना को ठेस पहुंचाने वाली है.
इस फिल्म के खिलाफ मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हो
चुका है. इंदौर के साधु-संतों ने फिल्म पर किसी तरह की राय जाहिर करने से
पहले रविवार को फिल्म देखने का फैसला किया.
टेजर
आयरलैंड मॉल के पीवीआर में रविवार को 40 से अधिक साधु-संतों के दल ने
फिल्म देखी. फिल्म देखने के बाद वे गुस्से में थे. इनमें से एक कंप्यूटर
बाबा का कहना है कि इस फिल्म में सिर्फ हिंदू धर्म पर टीका टिप्पणी की गई
है. लिहाजा इस फिल्म पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए. यह फिल्म धार्मिक भावनाओं
को आहत करने वाली है. उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को
ज्ञापन भी सौंपेंगे.
वहीं
पंचकुइयां के लक्ष्मण दास का कहना है कि साधु-संतों की एक बैठक होगी और
उसके बाद ही वे अगली रणनीति तय करेंगे. फिल्म देखकर बाहर निकले साधु-संतों
के दल ने नारेबाजी भी की.
गौरतलब
है कि इस फिल्म को देखने वाले अधिकांश लोगों का कहना है कि इस फिल्म में
सिर्फ हिंदू धर्म पर टीका-टिप्पणी नहीं है, बल्कि एक अन्य ग्रह से भारत की
जमीं पर उतरा एलियन मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च जाता है. उसे सबकुछ
अजूबा लगता है. उसे हर धर्म में कुछ न कुछ बुराइयां नजर आती हैं. उसका
व्यंग्य-बाण सिर्फ हिंदू धर्म पर नहीं चला है. आपत्ति तो हर धर्म के लोगों
को होनी चाहिए.
निर्देशक हिरानी ने आरोपों को नकारा
वहीं फिल्म के विरोध में रोज प्रदर्शन
कर रहे लोगों के आरोपों को फिल्म के निदेशक राजकुमार हिरानी ने खारिज कर
दिया है कि इसमें हिन्दुत्व का अपमान किया गया. उन्होंने कहा कि इसमें धर्म
की सच्ची भावना को दर्शाया गया है. हिरानी ने एक बयान में कहा कि किसी की
भावना को आहत करने का उनका कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि फिल्म में
धर्म की सच्ची भावना को दर्शाया गया है.
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