Thursday, February 16, 2012

राजकोषीय घाटा क्या है?



सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को आथिक शब्दावली में 'राजकोषीय घाटा' कहा जाता है इससे पता चलता है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत होगी कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधार को शामिल नहीं किया जाता है राजकोषीय घाटा आमतौर पर राजस्व में कमी या पूंजीगत व्यय में अत्यधिक वृद्धि के कारण होता है पूंजीगत व्यय लंबे समय तक इस्तेमाल में आने वाली संपत्तियों जैसे-फैक्टरी, इमारतों के निमाण और अन्य विकास कार्यो पर होता है

राजकोषीय घाटे की भरपाइ आमतौर पर केंद्रीय बैंक (आरबीआइ) से उधार लेकर की जाती है या इसके लिए छोटी और लंबी अवधि के बॉन्ड के जरिये पूंजी बाजार से फंड जुटाया जाता है

अथशास्त्रियों के अनुसार किसी भी देश में राजकोषीय घाटा नहीं होना चाहिए ह्लयादातर अथशास्त्री मानते हैं कि केंदीय बैंक से कज लेकर राजकोषीय घाटे की भरपाइ करने पर मुद्रास्फीति दर में इजाफा होने के आसार बनते हैं देश में राजकोषीय घाटा ह्लयादा होने की वजह से मुद्रास्फीति दर भी ह्लयादा हैl

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