हिन्दू धर्म में गाय की पूजा | Worshiping Cow in Hindu Religion | Hindu Dharm me gayi ki puja in hindi
हिन्दू धर्म में गाय की पूजा का क्यों है विधान, इसके पीछे छुपे हैं वैज्ञानिक कारण
हिन्दू धर्म के अनुसार गाय में 33 कोटि के देवी-देवता निवास करते हैं। कोटि का अर्थ करोड़ नहीं, प्रकार होता है।
इसका मतलब गाय में 33 प्रकार के देवता निवास
करते हैं। ये देवता हैं - 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्विन कुमार।
ये मिलकर कुल 33 होते हैं।
यही वजह है कि दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन
पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से
श्रृंगार किया जाता है।
जैसा कि हम जानते हैं, हिन्दुओं में सारे
धार्मिक कार्यों में सर्वप्रथम पूज्य गणेश व उनकी माता पार्वती को गाय के
गोबर से लीपे पूजा स्थल में रखा जाता है।
वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि गाय में
जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं। पर धर्म की
दृष्टि से गाय माता होती है।
धर्म के हिसाब से यह माना जाता है कि किसी संत में ही उतनी ऊर्जा हो सकती है। जिसका आशय है कि गाय में संत जैसी ऊर्जा होती है।
सारे वैज्ञानिक मानते और कहते हैं कि गाय
एकमात्र ऐसी प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती है,
जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते
हैं।
पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं। तथा यह एक आयाम है जो गाय को शुद्धता के स्रोत के तौर पर पेश करती है।
वस्तुतः घर के आसपास गाय के होने का मतलब है कि आप सभी तरह के संकटों से दूर रहकर सुख और समृद्धिपूर्वक जीवन जी रहे हैं।
लाभकारी जानकारी
गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित
सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोककर वातावरण को स्वच्छ बनता हैं। यह
पर्यावरण के लिए लाभदायक होता है।
वहीं दूसरी तरफ नज़र डालें तो, सूर्यकेतु नाड़ी
सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से
उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है।
यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। कई रोगियों को स्वर्ण भस्म दिया जाता है।
रिसर्च से पता चलता है की पंचगव्य कई रोगों में
लाभदायक है। पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा
किया जाता है।
पंचगव्य द्वारा शरीर की रोग निरोधक क्षमता को
बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है। ऐसा कोई रोग नहीं है जिसका इलाज पंचगव्य
से न किया जा सके।
गाय का दूध व घी अमृत के समान है, वहीं दही
हमारे पाचन तंत्र को सेहतमंद बनाए रखने में बहुत ही कारगर सिद्ध होता है,
साथ ही दही के सैकड़ों फायदे हैं।
दही में सुपाच्य प्रोटीन एवं लाभकारी जीवाणु
होते हैं, जो क्षुधा को बढ़ाने में सहायता करते हैं। पंचगव्य का निर्माण
देसी मुक्त वन विचरण करने वाली गायों से प्राप्त उत्पादों द्वारा ही करना
चाहिए।
स्मरणीय है कि पंचगव्य से लगभग सभी रोगों
(कैंसर) तक का इलाज हो जाता है। गुजरात के बलसाड़ नामक स्थान के निकट कैंसर
अस्पताल में तीन हजार से अधिक कैंसर रोगियों का इलाज हो चुका है।
पंचगव्य के कैंसरनाशक प्रभावों पर यूएस से
पेटेंट भारत ने प्राप्त किए हैं। 6 पेटेंट अभी तक गौमूत्र के अनेक प्रभावों
पर प्राप्त किए जा चुके हैं।
शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार कुछ
पशु-पक्षी ऐसे हैं, जो आत्मा की विकास यात्रा के अंतिम पड़ाव पर होते हैं।
उनमें से गाय भी एक है।
इसके बाद उस आत्मा को मनुष्य योनि में आना ही
होता है। हम जितनी भी गाएं देखते हैं, ये 84 लाख योनियों के विकास क्रम में
आकर अब अपने अंतिम पड़ाव में विश्राम कर रही हैं। गाय की योनि में होने का
अर्थ है - विश्राम, शांति और प्रार्थना।
आपको यह तर्क अजीब लग सकता है पर अगर आप गौर से किसी गाय या बैल की आंखों में देखिए, तो आपको उसकी निर्दोषता अलग ही नजर आएगी।
आपको उसमें देवी या देवता के होने का आभास
होगा। यदि कोई व्यक्ति गाय का मांस खाता है तो यह निश्चित जान लें कि उसे
रेंगने वालों कीड़ों की योनि में जन्म लेना ही होगा। यह शास्त्रोक्त तथ्य
है।
यदि कोई ऐसा पाप करता है तो उन्हें फिर से 84
लाख योनियों के क्रम-विकास में यात्रा करना होगी जिसके चलते नई आत्माओं को
मनुष्य योनि में आने का मौका मिलता रहता है। मानव योनि बड़ी मुश्किल से
मिलती है।
गौमूत्र को सबसे उत्तम औषधियों की लिस्ट में
शामिल किया गया है। वैज्ञानिक कहते हैं कि गौमूत्र में पारद और गंधक के
तात्विक गुण होते हैं। यदि आप गो-मूत्र का सेवन कर रहे हैं तो प्लीहा और
यकृत के रोग नष्ट कर रहे हैं।
गाय के मूत्र में पोटैशियम, सोडियम, नाइट्रोजन,
फॉस्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है। दूध देते समय गाय के मूत्र में
लैक्टोज की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है।
गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व
सर्वविदित है। प्राचीनकाल के मकानों की दीवारों और भूमि को गाय के गोबर से
लीपा-पोता जाता था।
गाय का दूध जहां आंखों की ज्योति बढ़ाता है
वहीं यह शारीरिक विकास के लिए भी लाभदायक है। गाय के दूध में हुए शोधानुसार
इसके हजारों फायदों को खोजा गया है।
इन दिनों गाय की रक्षा को लेकर 'बीफ़' के दूसरे
सबसे बड़े निर्यातक देश भारत, में बहस छिड़ी हुई है। देसी गाय की संख्या
में उतनी बढ़ोत्तरी नहीं हो पा रही है जितनी विदेशी नस्ल की गाय की और इसका
कारण है दूध का बाज़ार।
गाय हिन्दू धर्म में पूजनीय के साथ साथ हमारे
लिए बहुत लाभकारी भी है। इसी लिए सिर्फ सनातन धर्म में नहीं अपितु हर वर्ग
यहां तक की वैज्ञानिक भी इसे लाभकारी मानते हैं।
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