हम जानेंगे कि कैसे योग प्रसव तथा शिशु के जन्म में पीड़ा को घटाता है
सम्पूर्ण विश्व में गर्भवती स्त्रियों को असहनीय पीड़ा तथा मानसिक यातना का सामना करना पड़ता है भले ही इसके बहुसंख्य पहलू हों। परन्तु सबसे महत्वपूर्ण पहलू यही रहता है कि इन स्त्रियों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना नहीं आता।
इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि कैसे योग गर्भवती स्त्रियों के लिए लाभप्रद सिद्ध हो सकता है तथा कैसे ये प्रसव तथा शिशु के जन्म में पीड़ा को घटाता है।
जैसे-जैसे शिशु आपके पेट में बढ़ता है, आपके शरीर को शक्ति तथा सहनशीलता की आवश्यकता होती है। योगासन आपकी कमर, बाजू, कन्धों तथा कूल्हों को सुदृढ़ बनाता है।
आपका शारीरिक तथा मानसिक संतुलन शिशु के बढ़ने से प्रभावित होता है। आप भावनात्मक रूप से भी प्रभावित होते हैं। योगासन जिससे कि श्वासों पर नियन्त्रण के लिए सहायक होता है, इस संतुलन को पुनः प्राप्त करने के लिए सहायक सिद्ध हता है।
शिशु के बढ़ने से आपके शरीर की विभिन्न मांसपेशियों पर खिंचाव बढ़ता है। पीठ के नीचे वाले भाग में वक्रता बढ़ती है। कूल्हे सिकुड़ते हैं तथा स्तनों और पेट का आकार बढ़ता है। योगासनों से इन सभी अंगों की मांसपेशियों के खिंचाव में कमी आती है।
दीर्घ श्वास क्रियायों से तंत्रिका तंत्र को आराम मिलता है। इसी आराम के मिलने से हमारे पाचन तंत्र की प्रक्रिया सुगम हो जाती है, हमें निद्रा में कठिनाई नहीं होती, तथा हमारा प्रतिरक्षी तंत्र भी सुदृढ़ होता है।
योगासनों के द्वारा आप कठिन परिस्थितियों में कठिन शारीरिक मुद्राओं का अभ्यास करते हैं। ये अभ्यास आपको प्रसव के समय आने वाली कठिनाइयों के लिए अभ्यस्त करता है। आपको पहले ही पता होता है कि कैसे दीर्घ श्वास क्रियायों के द्वारा आप अपने मन को विचलित होने से रोक सकते हैं।
योगासन आपको आपके मन को एकाग्र करने के लिए प्रेरित करता है। आपके श्वास का नियंत्रण तथा मुद्राओं की सहजता आपको आपके शिशु के साथ सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होती है। आप अपने शरीर में आ रहे बदलाव के प्रति अधिक जागरूक हो जाते हैं।
योग अभ्यास के द्वारा हमारे जोड़ों तथा मांसपेशियों में लचकता आती है जिससे रक्तसंचार में बढ़ोत्तरी होती है। इस रक्तसंचार से सूजन में कमी आती है तथा प्रतिरक्षी तंत्र भी सुदृढ़ होता है। ये सब कुछ आपके शिशु के सुगम वातावरण के लिए आवश्यक है।
श्वास का अभ्यास आपके लिए सहायक सिद्ध होता है जब प्रसव के चलते सिकुड़न की स्थिति आती है। हमारी जागरूक श्वास प्रक्रिया से रक्त दवाब तथा हृदय गति व्यवस्थित हो जाती है जो हमें आराम की मुद्रा में ले जाती है। ये तो अच्छा ही है क्योंकि जितनी आरामदायक प्रसव प्रक्रिया होगी उतना ही आराम शिशु को मिलेगा।
योगसन का अभ्यास आपको ऐसे वातावरण में ले जाता है जहां आपको समझने वाली स्त्रियों का साथ मिलता है जो कि आपके लिए समुदाय की भावना उत्पन्न करता है। ये भावना आपको मानसिक संतुलन बनाने में सहायता करती है।
योग का समय आपको आपके व्यस्त जीवन तथा दिनचर्या से निवृत्त करता है तथा आपको अपने मन तथा शरीर के पालन-पोषण के लिए प्रोत्साहित करता है। इससे आप केवल अपने शरीर की संभाल ना करके अपने शिशु के प्रति भी अपनी मनोभावना प्रकट करते हैं।
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