Tuesday, September 30, 2014

How to chant AUM or OM? How OM mantra affects our body and soul?

जीवनीशक्ति विशेष  

 
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ शिव ॐ शिव ॐ हरि बोल ..... ॐ... ॐ... ॐ.. पांडुरंगा ॐ... हर हर महादेव ॐ .....   
सदा सर्वदा योग तुझा घडावा | तुझे कारनी देह माझा पड़ावा | 
उपेक्षु नको गुनवंता अनंता | रघु नायका मागने हेची आता |
ज्या ज्या ठिकाणी मन जाय माझे | त्या त्या ठिकाणी निज रूप तुजे | 
मी ठेवितो बांघट ज्या ठिकाणी |  तेथे विठोबाचे रुपाय वाणी ||
जय जय रघवीर समर्थ... जय जय बम भोलेनाथ... नम पार्वती पतये हर हर महादेव... | अब लबा श्वास लो .. जितना गहरा ले सकते और मैं भगवान का हूँ... भगवन मेरे हैं और भगवान कौन हैं ? सबका आत्मज्योति शिवस्वरूप | क्या करना हैं?  दो बार ऊँ.. ऊँ.. ऊँ... फिर से गहरा साँस लो... जितना ज्यादा गहरा साँस ले सकते, इससे जो भी आप ध्यान भजन साधना करते, उसका प्रभाव कई गुना हो जायेगा | गहरा साँस लिया.. मैं ईश्वर का हूँ... ईश्वर मेरे हैं | वो अंतरात्मा परमेश्वर ॐ स्वरुप, वही शिव, वही पांडुरंग हैं, वही राम हैं, हजार-हजार नाम उस प्यारे प्रभु के ऊँ.. ऊँ.. ऊँ... बच्चों को सिखाओगे तो बच्चों की स्मरणशक्ति बढ़ेगी |  ये पंचम केंद्र है आपको कभी सुनने को नहीं मिला होगा ऐसी एक बात सुनाता हूँ | ५० साल में मैंने अभी थोड़े दिन पहले से इस रहस्य को सुना.. जाना हैं | आपकी जीवनीशक्ति जितनी बलवान होती हैं उतना शरीर स्वस्थ  रहता हैं | और बलवान बनाने के लिए जितना आप जीवनीशक्ति के केन्द्रों को जानते किस समय कौन से केंद्र में जीवनीशक्ति होती हैं | तो फिर उस समय उस केन्द्रों को जैसे जिस का राज्य होता उस राज्य के मंत्री की चलती हैं साइन-वाइन वैसे |  हमारे शारीर में १२ जगह पर जीवनीशक्ति का राज्य होता हैं | हर दो घंटे में एक एक अंग मे विशेष प्रभाव होता है | अगर ये बात जानकर फायदा उठाये तो मैं ७५ साल का हूँ और कितना-कितना परिश्रम और कितना- कितना कार्यक्रम होता हैं | तो मैं थोडी चीजे बाते जान लेता हूँ |  तो मैं चाहता हूँ, आप भी ये बाते जान लो; तो आप भी दीर्घजीवी रहोगे और आपके द्वारा बड़े-बड़े काम हो | 
२४ घंटे हमारी जीवनीशक्ति बारह केन्द्रों में २ - २ घंटे विचलन करती है | जैसे सुबह ३ से ५ हमारी जीवनीशक्ति फेफड़ो में होती है | उस समय ४ से ५ के अंदर अगर आप प्राणायाम कर लेते है, तो आपकी रोगप्रतिकारक शक्ति, अनुमान शक्ति, शौर्यशक्ति विकसित होगी | जिनको दमे की बीमारी हो, टी. बी. की बीमारी हो उनको तो खास इस टाईम में प्राणायम करना चाहिए और प्राणरोग आरोग्य का मंत्र जप करे.. भीतर रोके.. श्वास और बाहर रोके दवाई खा-खा के फु.. फु.. कर-कर के लंग्स कमजोर हो गए | लेकिन ये फेफसों की राजसत्ता होती है | उस समय काम कर ले चंगा होने में आसानी होगी | फिर ५ से ७ आपकी जीवनीशक्ति बड़े आंत में होती है तो ५ से ७ के बीच अगर आपने थोडा बहुत पानी पी लिया.. गुन-गुना सा पानी ज्यादा ठंडा नहीं ज्यादा गरम नहीं, जंप-बंप मारे और शौच जाने का संकल्प किया तो आदत हैं, ९ बजे जाने की आदत से तो पेट ख़राब रहेगा | जो सुबह ७ के बाद शौच को जाता है उसके पेट की गड़बड़ी बनी रहती है | पक्का कितना भी उपाय इलाज करेगा लेकिन पेट की गड़बड़ी रहेगी | तो ५ से ७ बजे के बीच बड़े आंत  में जीवनीशक्ति होती है | उस समय व्यायाम, घुमना आदि निपट ले और ७ से ९ जीवनीशक्ति आमाशय में होती है | आमाशय में बड़ी आंत की सफाई करने की ताकत होती है | भोजन, पाचन आदि आसानी से हो, सैंकडों पाचन रोगों से बचाव होगा | अगर ७ से ९ के बीच आपने हल्का-फुल्का पेय पदार्थ लिया, फिर ९ से ११ आपकी जीवनीशक्ति प्लीहा अग्नाशय में होती है, जठरा में होती है | उस समय पाचक रस ज्यादा बनता है | पाचन में मदत मिलती है, पाचन ठीक नहीं हुआ तो कच्चा रस बनता है | फिर शरीर मोटा, कमर में दर्द, थकान, आलस्य, अकारण शरीर में कुछ ना कुछ गड़बड़ी होती है | ९ से ११ आपकी जीवनीशक्ति प्लीहा  अग्नाशय में जीवनीशक्ति का साम्राज्य होता है | उस समय पाचन रस ज्यादा बनने से ९ से ११ के बीच भोजन कर लेना | डायबीटीज वाले को तो खास उस समय भोजन करन चाहिए और जिनका पाचन कमजोर है उनको भी भोजन कर लेना चाहिए | कमजोर पाचन को तेज करना हो तो १ – २ - ३  खजूर रात को भिगा दे, होली तक होली के बाद नहीं | वो मसलके दूध में सुबह-सुबह पी ले | ७ से ९ तो आँतो की शक्ति आँतो का रस ज्यादा बनेगा | पाचन ज्यादा होगा और भोजन के बीच  एक ग्लास गुनगुना पानी रख दे | बीच-बीच में दो-दो घूँट पीता जाय..भोजन के बीच कई-कई बार पानी घूँट-घूँट पिते रहना चाहिए भोजन सुपाच्च्य हो जायेगा | ध्यान देना ९ से ११ के बीच भोजन कर लेना चाहिए और डायबीटीज वाले को तो खास | ११ से १ में जीवनीशक्ति ह्रदय में रहती है | अगर उससमय भोजन करोगे तो मानवी संवेंद्नाएँ, स्नेह, प्रसन्नता आदि का गला घुट जायेगा और यही कारण है | 
सत्संग पहुंचाना ये बहुत बड़ा भारी समाज की सेवा है, ईश्वर की भी सेवा है, मानवता की सेवा है | सत्संग पहुंचाना जिसके जीवन में सत्संग का प्रभाव नहीं,  सोने की लंका के बाद भी वासनानिवृत्ति नहीं | अपनी पत्नी है, राज्य की सुंदरिया है, नाचने गानेवाली फिर भी सीताजी को लाकर रावण ने क्या कर के दिखाया | आज के मानव को ये रावण  का जीवन समझने के लिए बहुत-बहुत प्रेरणा देता है |  और शबरी का जीवन, तुकाराम का जीवन, एकनाथ महाराज का जीवन, ज्ञानेश्वरजी का जीवन, सावता माली का जीवन देखो तो बाहर कुछ सामग्री नहीं है  | लेकिन कितनी तृप्ति, कितना आनंद है | जगत में सर्वप्रकारे सुखी कोण आहे? मनातुनि शोधुनी पाहे गौर में गए तो अंदर से अनुभव हुआ, दृष्टी ज्ञानमयी कृत्वा पश्येत हरि देव जगत है | तो ११ से १ के बीच भोजन करेंगे तो भोजन के रसो में, स्वादों में और भोजन के पाचन में ह्रदय उलझेगा | ह्रदय का विकास रुक जायेगा, आदमी निर्दयी हो जायेगा, स्वार्थी हो जायेगा, तनाव और टेंशनवाला हो जायेगा | ११ से १ के बीच भूलकर भी भोजन नहीं करना चाहिए | लेकिन आज कल आदत बन गई है | नेपाली लोग और भी लोग जिनकी तो प्राण उर्जा ह्रदय  अपने में जो ग्रहण करने की शक्ति है, वो तो पाचन में जाती है | जब स्कूल चलती है, तो बच्चा सोता है | जब सोने का समय होता है, तभी स्कुल जाता है |  तो क्या करे वर्क वाहिल यु वर्क, प्ले वाहिल यु प्ले, थिस ईज द वे टू बी हैपी एंड गे | जिस समय जिसकी सत्ता है, उस समय वो काम कर लेना चाहिए |  तो ११ से १ ह्रदय के विकास की सत्ता है, ह्रदय विकसित है, ऐसे किस्से, सतकर्म, सतभाव, भावग्राही जनार्धना | १ से ३ जीवनीशक्ति छोटे आँत में होती है | उसका मुख्यकार्य है जो भोजन ११ बजे तक खाया गया उसका रस बना वो पोषक तत्वों को अपने और खींचता है | पुरे शरीर  को देता है | तो १ से ३ में अगर भोजन खाया तो पोषक तत्व कहाँ मिलेंगे | जैसी कच्ची रोटी, कच्चा चावल, कच्ची दाल अच्छा नहीं लगता | ऐसे पोषक तत्वों की जगह पर बीमारी करने वाले कच्चे रस, कई बीमारीयां इसी कारण होती है | तो १ से ३ अथवा ११ से १ भोजन करना बीमारीयों को सर्टिफिकेट देना की तुम यही रहो | ३ से ५ जीवनी शक्ति मूत्राशय में रहती है | उस समय पानी पी लेना पत्थरी की बीमारी नहीं होगी | डायबीटीज की बीमारी जल्दी नहीं होगी और बुढ़ापे में पेशाब सबंधी तकलीफे होती है | वो सब नहीं होगी और जिनको भी पत्थरी है भूलकर भी ऑपरेशन नहीं करना चाहिये | चाहे पेशाब की जगह, किडनी की जगह, लीवर की जगह पत्थरी हो, कोई ऑपरेशन की जरूरत नहीं | पत्थरी चट पौधा है अपने आश्रम में | पौधे की ऐसी करामत है की उसके एक पत्ते में दो टुकड़े कर दो और बो दो तो उसमे से एक-एक पौधे-पौधे तैयार हो जाते | दो-दो पत्ते खावे थोड़े दिन पत्थरी चट हो जावे | कई लोगो को फायदा हुआ है तो पत्थरी का ऑपरेशन नहीं करना चाहिये | १ से ३ छोटी आंत में ३ से ५ मूत्राशय में जीवनीशक्ति होती हैं | उस समय पानी पी लेना चाहिए और पानी पी के तुरंत बाथरूम नहीं जाना बाथरूम जा के तुरंत पानी नहीं पीना | ५, ७, १० मिनट का अंतर होना | ५ से ७ जीवनीशक्ति गुर्दे में होती है | शाम का भोजन अगर ५ से ७ के अंदर कर लेता तो किडनी और कान की तकलीफ कभी होगा ही नहीं | और ७ से ९ के बीच  जीवनीशक्ति मष्तिष्क में रहती है | उस समय धार्मिक लोग शास्त्र पढ़े, पाठ, श्लोक, गीता, रामायण, उपनिषद, कंठस्त, आसनी से करेंगे और बच्चों को कम मेहनत में याद रह जायेगा | ५ से ७ के बीच स्पेशल ट्यूशन की जरुरत नहीं | परिवार वाले उनको थोडा पढ़ा लेंगे हो जायेगा | तो ७ से ९ जीवनीशक्ति मस्तक में रहती हैं | मस्तक संबंधी काम उसी समय कर लेना चाहिये | और ९ से ११ जीवनीशक्ति मेरुरज्जु में रहती है, उसका साम्राज्य होता है | ९ से ११ जीवनीशक्ति मेरुरज्जु में रहती है उस समय की नींद पूर्ण आराम देती है | थकान मिटाती है | ११ से १ में जीवनीशक्ति पित्ताशय में होती है | पित्त का संचय मानसिक नियंत्रण करती है | अगर ११ से १ बीच टी.वी. देखता रह जायेगा तो चिडचिडा हो जायेगा | पित्त सबंधी रोग होगा | पित्त और वायु मिलके हार्टअटक बनता है, नेत्र सबंधी रोग होंगे, आँख जलेंगे, अधिक मासिक आयेगा, कई बार हो जायेगा, ये सब बीमारी होगी | अगर १ से ३ के बीच कोई जगता है रात में तो उस समय जीवनीशक्ति लीवर में रहती है | लीवर शरीर का खास अंग है | 
 मेरी माँ ८८ साल की हो गई थी, लीवर ख़राब, किडनी ख़राब, पाचन ख़राब, दो मनके घिसक गये | डॉक्टर बोले २४ घंटो से ज्यादा नहीं जी सकती | मैंने मंत्र दिया २४ दिन हो गये, २४ महिने हो गये, ६०, ७०, ८० महिने हो गये | अमेरिका के डॉक्टर चकित हो गये माताजी तुम तो एक दिन में मरनेवाली थी ?  मरनेवाली-मरनेवाली कई डॉक्टर बोलते? उसमे से तो कोई तो चले गये | मेरे पास गुरु का मंत्र है, मेरे को गुरुजी मानती थी | माँ चली गई तो मैंने अपने कंधे पर उनकी अंतिम यात्रा कराई | मैं तो उनका पुत्र था लेकिन उनकी बड़ी श्रध्दा थी कुछ गुरूजी ने बताया की ये संत बनेंगे ऐसा है | 
१ से ३ जागोगे तो बड़ा घाटा है उस समय शरीर पूरा विश्राम मिलेगा, गहरी निद्रा होगी, तो शरीर को नई कौशिका बनाने का अवसर मिलाता है | अगर नई कौशिका नहीं बनी और पति-पत्नी का व्यवहार है, वो हुआ तो जो कौशिका हैं वो कम होगी और बुढापा जल्दी आयेगा | मैं ७५ साल का जवान हूँ | लोग तो ५० साल में बूढ़े हो जाते बेचारे को पता नहीं न ऐसा नहीं मैं खाता हूँ वो नहीं खाते? वो खाते पीते हैं लेकिन टाइम टेबल नहीं | खाने के पहले प्रसन्न होना चाहिए दूसरा एक खास काम करता हूँ | मैं क्या करता हूँ की सुबह कमरा बंद कर देता हूँ,  गौचंदन अगरबत्ती जलाता हूँ, उस पे सिर में डालने तेल अथवा गाय का घी के बुँदे डालता हूँ | तो एक टन उर्जाई प्राणवायु बन जाता है | तो उसीमे में आसन करता हूँ कटिबद्ध वस्त्र, कच्छा जांघिया बाकि खुला बन तो रोमकूप से भी जीवनीशक्ति लेता हूँ | हम १ किलो भोजन करते, २ किलो पानी लेते है, लेकिन १० किलो जीवनीशक्ति तो श्वास से ही लेते है | तो पावरफुल श्वास है ना ! तो वो शरीर कहीं भी गड़बड़ी हो तो उसे मार भगाते हैं | ११ से १ जगोगे तो मानसिक विक्षेप हो जाएगा और १ से ३ पति पत्नी का व्यवहार करना बहूत घाटा है | जैसे आमवस्या, पूर्णिमा को पति-पत्नी का संभोग का काम करनेवाले को विकलांग संतान ही पैदा होगी | अगर गर्भाधान नहीं हुआ तभी भी अमावस्या और पूनम को जीवनीशक्ति का ह्रास ज्यादा होने से कोई न कोई बीमारी पकड लेती है | 
तो १ से ३ भूलकर भी संसार व्यवहार करना नहीं चाहिये | फिर ३ बजे से वही फेफसो में जीवनीशक्ति | 
अब ये शिवरात्री की रात है | आज ग्रह-नक्षत्रों का ऐसा योग बनता है | इस समय शिवरात्री को अगर आपने उपवास किया है और बेलपत्र वायु दोष को दूर करते है, मन, प्राण को ऊपर करते है | नाम तो होता है शिवजी को बेल पत्र चढा ले लेकिन हमारी जीवनीशक्ति उर्जा और प्राण उर्ध्वगामी करते है | जिसको गैस ट्रबल हो १ लीटर पानी में ३ बीली पत्ते कुचल के, काली मिर्च डालके पौना लीटर पानी करे | २ लीटर पानी का डेढ़ लीटर पानी करे और वही पानी पी ले गैस सबंधी तकलीफे चली जायेगी | लेकिन आज का दिन तो गजब का है | शिवरात्री के दिन भगवान शिव का बीज मंत्र ‘ॐ बम बम बम’ अगर सवा लाख जप करता है, तो गठियां की बीमारी से बिस्तर पे पड़ा है डॉक्टर ने बोला अब इसका इलाज नहीं है लेकिन एक दिन में वो दौड़ने लग जायेगा | बम बम मंत्र में ताकत है | 
मेरी माँ को बोला २२ घंटे २० घंटे लेकिन मेरे माँ तो चलने लगी | ८० महीने हो गए, ८६ साल में ये सब ख़राब हो गया था | उस के ९६ साल तक जीयी मेरी माँ मेडिकल रिपोर्ट अपटूडेट हो गयी | लेकिन दवा काम नहीं करती ऑपरेशन  काम नहीं करता | 
वो मंत्रशक्ति से काम लिया तो शिवरात्री की रात ‘ॐकार’ मंत्र का जप | अभी तुमको कराता हूँ और तुम जाके अपने बच्चो से कराना, बच्चे अच्छे बनेंगे, मार्क तो अच्छे लायेंगे लेकिन उनकी अकल भी बहूत ऊँची हो जाएगी | ये ॐकार मंत्र है | एक होती है खोज, दूसरा होता है निर्माण, खोज उसकी होती है जो पहेले नहीं था | पहेले था उसकी खोज होती है  और निर्माण उसका होता है जो पहेले नहीं था | भगवान नारायण ने ब्रम्हाजी का निर्माण किया था लेकिन ॐकार मंत्र का निर्माण भगवान नारायण ने नहीं किया ॐकार मंत्र की खोज की | ॐ कार मंत्र की महिमा के २२ हजार श्लोक है | अंग्रेजी में ३ बड़ी-बड़ी पुस्तकों का अनुवाद करके थीयोसोफिकल सोसायटी वालो ने अपने पास रखे | ॐकार जल्दी-जल्दी जपो तो पाप नाशिनी उर्जा होती है | दीर्घ जपो तो कार्य साफल्य उर्जा पैदा होती है और प्लुत जपो तो परमात्मा में विश्रांती मिलाती है | आत्मा परमात्मा का साक्षात्कार होता है | और १२० माला ॐकार की जप करे ७ सप्ताह ५० दिन में सात जन्मो की कंगालियत भाग जाये | सात जन्मो तक सात खानदानीयो तक लक्ष्मी अखंड रहेगी | लेकिन ये भी छोटी बात है १२० माला जप करे तो मन चाह भगवान १ साल के अन्दर प्रकट हो जायेगा | अगर मन चाह भगवान नहीं चाहते और वास्तविक में जो भगवान है उसको चाहते हो तो सद्गुरु के द्वार पर ये जप भेज देगा सद्गुरु बतायेगा की वास्तविक भगवान ये है | फिर मन से ऐसे ऐसे भगवान प्रकट हो जाने भावग्रही जनार्धना हिंदु धर्म भगवान के १००० नाम इसाई और इस्लाम ने ९९ और १०१ नाम खोजे पारसी ने २७ अधिक खोजे लेकिन हिंदु धर्म ने १००० नाम खोजने जे बाद भी कहा हरि अनंत, हरि की लीला भी अनंत नाम भी अनंत और हर एक नाम की महिमा अनंत है | जैसे आप ॐ बोलते है उसकी लम्बी व्याख्या है | जैसे आप हरि बोलते है, तो हरि किसको बोलते है, जो हर समय में है, हर स्थान में है, हर देश में है, हर काल में है, जिससे आपका वियोग नहीं होता | उस चैतन्य आत्मा का नाम हरि है | शरीर का तो वियोग होता है लेकिन आत्मा का वियोग नहीं होता मरने के बाद व्यक्ति अपने शव को देखता है | दो – सवा घंटे के बाद तो सब अपना दीखता है | जैसे दुसरे अपने मुर्दे शरीर को देखते है | वैसे अपन भी देखते तो अपन थोड़े मरे तो आप मृत्यु का भय निकाल देना  | भगवान आपको नहीं मार सकते क्योंकि आपका आत्मा और भगवान का आत्मा है | जैसे घड़े का आकाश, महाआकाश, तरंग का पानी और समुद्र का पानी एक है | ऐसे जीवात्मा और परमात्मा की चेतना एक है तो मरने से डरो नहीं, दुसरे को डरावो नहीं | और जो आत्मा अमर है तो ज्ञानस्वरुप भी है आप अज्ञानी रहो नही और दुसरे को बेवकुफ बनाओ नहीं | आत्मा आनंदस्वरुप है तो आप दुखी बनो नहीं और दूसरो के लिए दुःख का निमित्त बनो नहीं  | सुमिरन ऐसा कीजिए खरे निशाने चोट मन ईश्वर में लीन हो हले ना जिव्हा, होंठ | ॐ कार मंत्र की खोज नारायण ने की है |  
ॐकार मंत्र गायत्री छंद नारायण ऋषि अथवा परमात्मा ऋषि 
अंतर्यामी देवता अंतर्यामी प्रीतिअर्थे जपे विनियोग |
वो अंतरात्मा परमेश्वर कभी साथ नहीं छोड़ता उसका जप करने से तुमको अभी अभी भगवान की कृपा का परिचय मिलेगा, अनुभव होगा  | और बुद्धि खिलेगी, याद शक्ति बढ़ेगी, पेट की तकलीफे गायब होगी, लीवर की तकलीफे होगी नहीं, दिमाग सुंदर हो जाएगा | 
हरी ॐ ॐ ॐ प्यारे ॐ माधुर्य ॐ ॐ ॐ ॐ हरी ॐ हरी ॐ जय हो 

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