मंत्र शास्त्र के जानकारों के अनुसार मंत्र जाप का स्थान सर्वोपरि है।
सचमुच ऐसे अनेक चमत्कारी मंत्र हैं, जिनके जाप से कई सात्विक विचारों का
जन्म होता है व रोगी रोग मुक्त होकर शांति से अपना जीवन यापन करता है।
प्रत्येक धर्म एवं देश में ईश्वर का नाम या मंत्र जप करने का रिवाज
विद्यमान है, वहाँ माला का स्थान महत्वपूर्ण है।
नीचे निम्न दो चमत्कारी मंत्र उल्लेखित हैं जिनके जाप से मन माफिक सिद्धि मिलती हैः-
ॐ गं गणपतये नमः, यह एक अत्यंत असरकारक मंत्र है। इस मंत्र जप के लिए हाथी दाँत की माला का होना आवश्यक है। इस मंत्र के पाठ करने से कार्यों में सफलता मिलती है।
यह कटु सत्य है कि कुँवारी कन्याएँ यदि इक्कीस बुधवार इस मंत्र का जाप करें तथा चूरमा अथवा मूँग के सवा किलो लड्डू का भोग लगाकर बच्चों एवं परिजनों में बाँटें तो उनका विवाह अतिशीघ्र हो जाता है।
मंत्र का जाप करने और व्रत रखने से क्रूरतम मंगली और कालसर्प योग वाली कन्याओं के विवाह भी शीघ्र होते देखे गए हैं। साथ ही व्यापार वृद्धि एवं छात्र-छात्राओं की परीक्षाओं में सफलताओं के लिए भी उपयोगी है।
यदि इसी मंत्र की इकतीस मालाएँ नित्य जाप की जाएँ तो सोचा हुआ हर कार्य सफल होता है।
* रोग मुक्ति मंत्र : रोगों के निवारणार्थ यह मंत्र निम्न है : ॐ अच्युताय नमः, ॐ गोविंदाय नमः, ॐ अनंताय नमः। आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय तक इसका जाप करने से यह मंत्र सिद्ध होता है और साधक जटिल रोगों से मुक्त होता है। साथ ही उसे अन्न-लक्ष्मी, धन लक्ष्मी व राज्य लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
नीचे निम्न दो चमत्कारी मंत्र उल्लेखित हैं जिनके जाप से मन माफिक सिद्धि मिलती हैः-
ॐ गं गणपतये नमः, यह एक अत्यंत असरकारक मंत्र है। इस मंत्र जप के लिए हाथी दाँत की माला का होना आवश्यक है। इस मंत्र के पाठ करने से कार्यों में सफलता मिलती है।
यह कटु सत्य है कि कुँवारी कन्याएँ यदि इक्कीस बुधवार इस मंत्र का जाप करें तथा चूरमा अथवा मूँग के सवा किलो लड्डू का भोग लगाकर बच्चों एवं परिजनों में बाँटें तो उनका विवाह अतिशीघ्र हो जाता है।
मंत्र का जाप करने और व्रत रखने से क्रूरतम मंगली और कालसर्प योग वाली कन्याओं के विवाह भी शीघ्र होते देखे गए हैं। साथ ही व्यापार वृद्धि एवं छात्र-छात्राओं की परीक्षाओं में सफलताओं के लिए भी उपयोगी है।
यदि इसी मंत्र की इकतीस मालाएँ नित्य जाप की जाएँ तो सोचा हुआ हर कार्य सफल होता है।
* रोग मुक्ति मंत्र : रोगों के निवारणार्थ यह मंत्र निम्न है : ॐ अच्युताय नमः, ॐ गोविंदाय नमः, ॐ अनंताय नमः। आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय तक इसका जाप करने से यह मंत्र सिद्ध होता है और साधक जटिल रोगों से मुक्त होता है। साथ ही उसे अन्न-लक्ष्मी, धन लक्ष्मी व राज्य लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
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