Tuesday, December 2, 2014

How jewellers make profit?

सोने की कीमत से ज्यादा महंगे होते हैं गहने, जानें कैसे ज्वैलर्स कमाते हैं मुनाफा


शादियों के सीजन के साथ ही ज्वैलरी की डिमांड बढ़ गई है। सोने के कम होते दामों के चलते भी ज्वैलरी के कारोबार में तेजी आई है। यदि आप भी सोना खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ये समय बहुत अच्छा है, लेकिन एक बात का खास ख्याल रखें। बाजार में मिलने वाली ज्वैलरी के दाम असल में सोने के दाम से ज्यादा हो सकते हैं। यही नहीं ये दाम हर ज्वैलरी की दुकान पर भी अलग-अलग हो सकते हैं। 
ऐसा क्यों होता है, क्यों आपकी ज्वैलरी की कीमतों में फर्क आता है, कैसे ज्वैलर्स आपकी जेब पर डाका डालते हैं ये हम आपको बताएंगे।
ज्वैलर लगाते हैं मनमाने मेकिंग चार्ज
ज्वैलर्स अक्सर बनी हुई ज्वैलरी को बेचते समय कस्टमर्स से बाजार में सोने के दाम के अतिरिक्त दाम भी वसूलते हैं। ये चार्ज मेकिंग चार्ज के रूप में वसूला जाता है। मेकिंग चार्ज कितना होगा ये ज्वैलरी और ज्वैलर्स पर निर्भर करता है। जिस क्वालिटी और ग्राम की ज्वैलरी होगी उसके मुताबिक ज्वैलर मनमाने ढंग से आपके चार्ज वसूलते हैं।
क्या होता है मेकिंग चार्ज
ज्वैलर्स मेकिंग चार्ज अपने मन मुताबिक लगाते हैं। बड़े ज्वैलर्स के यहां मेकिंग चार्ज छोटे के मुकाबले अधिक होता है। मेकिंग चार्ज इस बात पर निर्भर करता है कि ज्वैलरी कैसी बन रही है। ज्वैलरी में चैन रिंग बैंगल्स और हैवी नेकलेस आदि होते हैं। इन पर औसतन 2700 रु प्रति 10 ग्राम से मेकिंग चार्ज वसूला जाता है। ज्वैलर्स लेबर, वेस्टेज और बनाने में कितने दिन का समय लगा इन सब को जोड़कर मेकिंग चार्ज वसूलते हैं। कृष्ण गोयल चांदी वाले के मुताबिक मेकिंग चार्ज न्यूनतम 5 फीसदी से लेकर अधिकतम 20 -25 फीसदी तक जाता है, वही जब सोने की ज्वैलरी घट जाती है तब छोटे ज्वैलर्स अपने मार्जिन को तो कम करते हैं, लेकिन मेकिंग चार्ज पर किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाती।
मार्केट में दो प्रकार की मिलती है ज्वैलरी
मार्केट में दो प्रकार की ज्वैलरी मिलती है। पहली बीआईएस अप्रूव्ड, इसमें मेकिंग चार्जेस लगभग 600 रुपए प्रति ग्राम है और दूसरी नॉन बीआईएस अप्रूव्ड जिसमें मेकिंग चार्जेस 120 से 200 रुपए प्रति ग्राम है। इस समय 26000 का 10 ग्राम गोल्ड अगर आपने बीआईएस अप्रूव्ड लिया तो वह मेकिंग चार्ज के साथ लगभग 33000 रुपए का आपको पड़ेगा। वहीं, बिना अप्रूव्ड वाला लगभग 26500 से 26 हजार में 10 ग्राम मिल सकता है। 10 ग्राम सोने में इतना अंतर देखकर अक्सर कस्टमर भी चकरा जाता है।

कब हुई थी मेकिंग चार्ज की शुरुआत
मेकिंग चार्ज की शुरुआत 2005-06 में हुई थी, जब गोल्ड की कीमत पहली बार 9,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंची थी। तभी से ज्वैलर्स ने मनमाने ढंग से मेकिंग चार्ज भी वसूलना शुरू कर दिया था। तब से अब तक ये सिलसिला चला आ रहा है। जबकि मेकिंग चार्ज को लेकर कोई नियम नहीं है।
बेचने पर काटते हैं मेकिंग चार्ज
मेकिंग चार्ज कारीगरी के लेवल पर डिपेंड करता है। बेहतर होगा कि इस चीज पर आप ज्यादा पैसे खर्च न करें। अगर आप ज्वैलरी बेचने जाते हैं तो ज्वैलर्स मेकिंग चार्ज काटकर आपको केवल गोल्ड का पैसा देता है। आपको अपनी खरीद वैल्यू का 30 फीसदी तक हिस्सा खोना पड़ सकता है। इसमें से करीब 20 फीसदी मेकिंग चार्ज का होता है और 10-12 फीसदी प्योरिटी संबंधित चीजों से जुड़ा होता है। ज्वैलर से खरीदारी के वक्त ज्वैलरी की कॉस्ट का ब्रेक-अप मांगिए। इसमें गोल्ड की मौजूदा कॉस्ट, मेकिंग चार्ज, स्टोन की वैल्यू और वैट शामिल हैं। 

ऐसे तय करें अपने गोल्ड की कीमत
1. कैरेट गोल्ड का मतलब होता हे 1/24 पर्सेंट गोल्ड, यदि आपके आभूषण 22 कैरेट के हैं तो 22 को 24 से भाग देकर उसे 100 से गुणा करें।
(22/24)x100= 91.66 यानी आपके आभूषण में इस्‍तेमाल सोने की शुद्धता 91.66 फीसदी।

मसलन 24 कैरेट सोने का रेट टीवी पर 27000 है और बाजार में इसे खरीदने जाते हैं तो 22 कैरेट सोने का दाम (27000/24)x22=24750 रुपए होगा। जबकि ज्वैलर आपको 22 कैरेट सोना 27000 में ही देगा। यानी आप 22 कैरेट सोना 24 कैरेट सोने के दाम पर खरीद रहे हैं।

2. ऐसे ही 18 कैरेट गोल्ड की कीमत भी तय होगी। (27000/24)x18=20250 जबकि ये ही सोना ऑफर के साथ देकर ज्वैलर आपको छलते हैं। 

शुद्धता के हिसाब से दिए जाने वाले अंक
24 कैरेट- 99.9
23 कैरेट--95.8
22 कैरेट--91.6
21 कैरेट--87.5
18 कैरेट--75.0
17 कैरेट--70.8
14 कैरेट--58.5
9 कैरेट--37.5
ऐसे पहचानें असली हॉलमार्क 
हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है। भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है। यदि सोना-चांदी हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है। लेकिन कई ज्वैलर्स बिना जांच प्रकिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगा रहे हैं। ऐसे में यह देखना जरूरी है कि हॉलमार्क ओरिजनल है या नहीं? असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है। उस पर हॉलमार्किंग सेंटर के लोगो के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है। उसी में ज्वैलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है।
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प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें
गोल्ड खरीदते वक्त आप ऑथेंटिसिटी/प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें। सर्टिफिकेट में गोल्ड की कैरेट क्वॉलिटी भी जरूर चेक कर लें। साथ ही गोल्ड ज्वैलरी में लगे जेम स्टोन के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट जरूर लें। 
विश्वसनीय दुकानों से खरीदें
अगर आपको मालूम नहीं है कि कॉमन बुलियन सिक्के कैसे दिखते हैं, तो इस बात की पूरी आशंका रहेगी कि आप बहुत ज्यादा खर्च करके भी नकली सिक्का खरीद लेंगे। सिक्के हमेशा विश्वसनीय दुकानों से और ज्वैलरी हमेशा हॉलमार्क निशान वाली ही खरीदें। छोटे ज्वैलर्स के पास हॉलमार्क ज्वैलरी नहीं होती। ऐसे में वहां धोखा होने का डर ज्यादा होगा।
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