Thursday, February 16, 2012

व्यापार से दुश्मनी दूर करने की कवायद



व्यापार से दुश्मनी दूर करने की कवायद

(भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पाकिस्तान के साथ बेहतर आथिक संबंधों के पषा में रहे हैं और यूरोपीय यूनियन की तज पर दषिाण एशियाइ मुक्त व्यापार समझौते ( साफ्टा ) के लिए कइ मतबा पहल कर चुके हैं पाकिस्तान आंतरिक और बाहरी मोर्चो पर कइ तरह के संकटों में घिरा हुआ है और उसकी अथव्यवस्था दिवालिया होने के कगार पर है संकट की इस घड़ी में पाकिस्तान अगर भारत को मोस्ट फेवड नेशन का दजादेता है, तो इससे सबसे ह्लयादा फायदा पाकिस्तान को ही होगा)

 - अरविंद कुमार सेन

भारत के वाणिह्लय मंत्री आनंद शमा पाकिस्तान के लाहौर शहर में अरसे से आयोजित हो रहे 'मेड इन इंडिया शो' के समापन समारोह में भाग लेने 100 कारोबारियों के समूह के साथ गये कारोबारी संबंधों को मजबूत करके दोनों मुल्कों के उलझे आपसी रिश्तों में बदलाव लाने के लिहाज से यह यात्रा बेहद अहम है आनंद शमा पाकिस्तान यात्रा पर जाने वाले भारत के पहले वाणिह्लय व उद्योग मंत्री हैं वैश्विक कूटनीति की आबोहवा के साथ चलते हुए दोनों देश बीते एक साल से व्यापारिक संबंध बहाल करने की दिशा में आगे ब़ढ रहे हैं और आनंद शमा की ताजा यात्रा एक साल से चल रहे द्विपषीय कारोबारी आयोजनों का ही एक भाग है भारत ने भी अगले साल पंजाब के लुधियाना शहर में 'मेड इन पाकिस्तान शो' आयोजित करने की बात कही है लाहौर में इंडिया शो शुरू होने से एक दिन पहले लश्कर-ए-तैयबा के एक नेता ने कहा कि भारत के साथ पाकिस्तान का रिश्ता केवल गोली व बंदूक का है और इसमें व्यापार की कोइ जगह नहीं है सवाल उठता है कि अमन के दुश्मनों की बौखलाहट और पाकिस्तान के बिगड़ते अंदरुनी हालातों के बीच कारोबार के जरिये दोनों मुल्कों के तनावपूण रिश्तों को किस हद तक पटरी पर लाया जा सकता है

एमएफएन से पिघली बफ

दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में नरमी पिछले साल नवंबर में आना शुरू हुइ जब पाकिस्तान ने लंबी जद्दोजहद के बाद भारत को एमएफएन ( मोस्ट फेवड नेशन ) का दजा दिया एमएफएन का मतलब है कि जिस देश को यह दजा दिया जाता है, वह संबंधित देश में आयात का ह्लयादा कोटा और करों में कमी जैसी व्यापार सहूलियतों का फायदा उठा सकता है मिसाल के तौर पर एमएमएन दजा लागू होने के बाद भारत को भी पाकिस्तान में चीन, जमनी और ब्राजील के समान ही व्यापार अधिकार मिलेंगे भारत व पाकिस्तान, दोनों ही देश विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य है और एक जनवरी 1995 को हुए समझौते के मुताबिक सदस्य देश एक-दूसरे को एमएफएन दजा दिए जाने के कानून से बंधे हुए हैं भारत ने पाकिस्तान को 1996 में ही एमएफएन दजा दे दिया था, मगर पाकिस्तान ने बदले में ऐसा नहीं किया पाकिस्तान का तक था कि कश्मीर मामले का समाधान होने से पहले भारत को एमएफएन दजा नहीं दिया जा सकता है दरअसल, पाक विदेश नीति की कताधता पाकिस्तानी सेना को लगता है कि एमएफएन से आपसी कारोबार ब़ढेगा और ब्रांड इंडिया की चमक से कश्मीर मामला नेपथ्य में जा सकता है

अगर भारत चाहता तो डब्ल्यूटीओ के जरिये पाकिस्तान पर दबाव बनाकर आसानी से एमएफएन दजा हासिल किया जा सकता था हालांकि खस्ताहाल अथव्यवस्था और अमेरिका के बदलते सुरों के बीच पाकिस्तान को यह बात समझ में आ गयी है कि भारत के साथ व्यापार खोलने का सबसे ह्लयादा फायदा उसी की झोली में जायेगा भारत और पाकिस्तान के बीच फिलवक्त सीधे रास्ते से दो अरब डॉलर का कारोबार और अप्रत्यषा रास्ते से 10 अरब डॉलर का व्यापार होता है पाकिस्तान में भारत के इस्पात, टैक्सटाइटल, इंजीनियरिंग, फामास्टिक्युल और ऑटोमोबाइल उत्पादों की भारी मांग है चूंकि पाकिस्तान ने भारत से इन उत्पादों के आयात पर रोक लगा रखी है, लिहाजा दुबइ और सिंगापुर के रास्ते यह उत्पाद पाकिस्तान पहुंचाये जाते हैं बिजनेस की भाषा में इसे थड पाटी रूट या अप्रत्यषा कारोबार कहा जाता है दिक्कत यह है कि इस रास्ते से भारतीय उत्पाद थड पाटी माजिन के चलते पाकिस्तानी बाजार में पहुंचते-पहुंचते करों के बोझ से महंगे हो चुके होते हैं और इसका सीधा खामियाजा पाकिस्तानी ग्राहकों व भारतीय कंपनियों को भुगतना पड़ता है

पाकिस्तान को होगा फायदा

एमएफएन दजा मिलने के बाद अप्रत्यषा माग से होने वाला कारोबार कानूनी तरीके से होने लगेगा और इसका सबसे ह्लयादा फायदा पाकिस्तान को मिलेगा खुद पाकिस्तान स्टेट बैंक की रिपोट के मुताबिक दुबइ के रास्ते आने वाले भारतीय सामान अगर सीधे भारत से आयात किया जाये, तो पाकिस्तान सरकार को दो अरब डॉलर का सालाना राजस्व मिलेगा यही वजह है कि पाकिस्तान के कारोबारी और सामाजिक कायकता लंबे समय से भारत को एमएफएन दजा देकर व्यापारिक रिश्ते बहाल करने की मांग कर रहे थे भारत का नियात इस समय 300 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर चुका है और इसमें पाकिस्तान के साथ होने वाले दो अरब डॉलर के कारोबार से कोइ खास असर नहीं पड़ने वाला है ओसामा बिन लादेन प्रकरण के बाद अमेरिकी खैरात में कमी आने से पाकिस्तानी अथव्यवस्था दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गयी है, ऐसे में भारत की कुलांचे भरती अथव्यवस्था और विशाल बाजार पाकिस्तानी अथव्यवस्था के लिए संजीवनी का काम कर सकते है भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक संबंधों में एक पेंच पाक बाजार चीन के हितों का भी है कारोबारी नियमों में ़ढील मिलने के बाद उम्दा गुणवत्ता वाला भारतीय सामान प्रतिस्पधी कीमतों पर पाकिस्तान बाजार में उपलब्ध होगा जाहिर है, पाक बाजार में कुंडली मारकर बैठी चीनी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ेगा और इसीलिए चीन, भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्तों में आने वाली गमाहट के खिलाफ इसलामाबाद में लंबे समय से लॉबिंग करता रहा है

चीन से लें सबक

पाकिस्तानी हुक्मरानों को लगता है कि एमएफएन दजे से ही भारत-पाक की कारोबारी अड़चनें दूर हो जायेंगी, जबकि हकीकत के धरातल पर कइ कदम उठाने की जरूरत है पाकिस्तान ने फिलहाल भारत से महज 1,946 उत्पादों के ही आयात की अनुमति दे रखी है और व्यापक मांग वाले ह्लयादातर भारतीय उत्पादों को नकारात्मक सूची ( आयात नहीं किए जाने वाले उत्पादों के नाम) में डाल रखा है दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान सरकार के असहयोगी रवैये के बावजूद व्यापार संतुलन लगातार भारत के पषा में झुकता जा रहा है, जिससे पाकिस्तानी अवाम के बीच इंडिया इंक की लोकप्रियता साबित होती है

दोनों देशों को जोड़ने वाली लचर परिवहन सुविधाएं, कारोबारियों को वीजा मिलने में होने वाली देरी और कारोबारी रिश्तों पर हावी होता राजनीतिक तनाव जैसे कइ अवरोध आपसी व्यापार को दो अरब डॉलर के मामली आंकड़े पर रेंगने को मजबूर करते हैं सवाल उठता है कि जब भारत और चीन अपने सियासी मसलों को अलग रखकर साथ-साथ कारोबार कर सकते हैं तो पाकिस्तान ऐसा क्यों नहीं कर सकता भारत-पाकिस्तान की तज पर ही चीन-ताइवान के रिश्ते उलझे हुए हैं, मगर बिगड़े सियासी समीकरणों के बावजूद चीन और ताइवान के बीच व्यापार 150 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर गया है विडंबना देखिये, साझा विरासत और एक जैसी कारोबारी संस्कृति वाले भारत-पाकिस्तान ने 2014 तक आपसी व्यापार 27 अरब डॉलर से ब़ढाकर छह अरब डॉलर करने का अदना सा लक्ष्य तय किया है

भारत को करनी होगी पहल

पाकिस्तान के साथ कारोबारी रिश्तों के परवान नहीं च़ढने की एक वजह भारत का असहयोगी रवैया भी है पाकिस्तानी व्यापारियों का सबसे मजबूत पषा वस्त्र नियात है, लेकिन भारत ने वस्त्र आयात पर रोक लगा रखी है भारत के वस्त्र निमाताओं के दबाव में सरकार इस नियम में तब्दीली नहीं कर रही है और इससे बांग्लादेश व पाकिस्तान के कारोबारी हलकों में नाराजगी है कड़वा सच यह है कि देश के घरेलू कपड़ा उद्योग को संरषाण देने से होने वाले थोड़े मुनाफे की एवज में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ व्यापार का विस्तार करके लंबी अवधि का लाभ हासिल करने का अवसर गंवा रहा है बड़ी अथव्यवस्था होने के नाते सुगम कारोबारी परिवहन के लिए आधारभूत ़ढांचा विकसित करने की जिम्मेदारी भारत की है, मगर इस दिशा में बातें करने के सिवाए कोइ पहल नहीं की गयी है कइ सालों के वादे के बावजूद वाघा सीमा पर आज तक एकीकृत सीमा चौकी का निमाण नहीं किया गया है जिसके चलते दोनों तरफ के कारोबारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है कारोबारी संगठन लंबे समय से बहुद्देशीय वीजा की मांग कर रहे हैं, लेकिन यह मांग भी बाबूशाही की जकड़न में फंस कर रह गयी है

कारोबार से अमन-बहाली

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पाकिस्तान के साथ बेहतर आथिक संबंधों के पषा में रहे हैं और यूरोपीय यूनियन की तज पर दषिाण एशियाइ मुक्त व्यापार समझौते ( साफ्टा ) के लिए कइ मतबा नयी दिल्ली की ओर से पहल कर चुके हैं पाकिस्तान आंतरिक और बाहरी मोर्चो पर कइ तरह के संकटों में घिरा हुआ है और अथव्यवस्था दिवालिया होने के कगार पर है संकट की इस घड़ी में पाकिस्तान अगर भारत को आतंक का नियात करने की बजाय व्यापार की पहल करता है तो इसका सबसे ह्लयादा फायदा इस्लामाबाद को ही मिलेगा बेहतर व्यापारिक रिश्ते बनने के बाद भारत भी पाकिस्तान के माफत मध्य एशियाइ देशों के विशाल बाजार में आसानी से पहुंच बना सकता है

बा़ढ व सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय दोनों देश खाद्य उत्पादों और जरूरी सामान का आयात-नियात कर सकते हैं इतना ही नहीं, बेहतर माहौल में बहुराष्ट­ीय कंपनियां संयुक्त परिचालन के लिए मोटा निवेश करेंगी, जिसका फायदा आखिरकार दोनों देशों को मिलेगा अगर भारत-पाकिस्तान व्यापार और सियासत को अलग रखकर आगे ब़ढंे तो एक समय के बाद अमन बहाली का काम बेहद आसान हो सकता है द्विपषीय कारोबार ब़ढने से दोनों मुल्कों के लाखों लोगों की जिंदगियां व्यापार पर टिक जायेंगी, लिहाजा सियासतदानों के लिए खून से खेलना मुश्किल हो जायेगा भारत-चीन के संबंधों में आयी हालिया नरमी इसका ह्लवलंत उदाहरण है चीन ताकतवर होने के बावजूद भारत पर हमला करने का जोखिम नहीं ले सकता, क्योंकि नियात पर टिकी चीनी अथव्यवस्था का भारत बहुत बड़ा हिस्सेदार बन चुका है लब्बोलुवाब यही है कि कारोबारी रिश्तों में सुधार करके भारत-पाकिस्तान भी कश्मीर जैसे मसलों को सुलझा सकते हैंl
 

दषिाण एशियाइ मुक्त व्यापार समझौता यानी साफ्टा पहली बार 2005 में चचा में आया था और यह साक देशों यानी बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच लागू करने का प्रस्ताव है साफ्टा यूरोपीयन यूनियन के मुक्त व्यापार समझौते की तरह ही है और इसके लागू होने के बाद सदस्यों देशों के बीच कारोबार आसान हो जायेगा शुरुआती चरण में साफ्टा वस्तुओं के कारोबार पर लागू होगा और इसके बाद सेवाओं व निवेश के मसले पर भी ़ढील दी जायेगी विश्व बैंक के मुताबिक मुक्त व्यापार के समझौते से बंधे देशों की अथव्यवस्थाएं दूसरे देशों की बजाय तेजी गति से विकास करती है साफ्टा के जरिये साक देशों ने एक विशाल षोत्रीय व्यापारिक संघ बनाने का लक्ष्य रखा है और कारोबारी रिश्ते रफ्तार पकड़ने के बाद साफ्टा का इस्तेमाल वैश्विक रणनीतियों में दषिाण एशियाइ हितों के पैरवी करने के लिए किया जायेगा हालांकि, भारत जैसी बड़ी अथव्यवस्था की बेरुखी और सीमाएं खोलने में आड़े आ रही आतंकवाद जैसी दिक्कतों के कारण बीते पांच सालों से साफ्टा धूल फांक रहा हैपाकिस्तान के तबके को लगता है कि कारोबार की छूट देने से भारत की भीमकाय कंपनी पाकिस्तानी बाजार को हड़प लेंगी और यह डर आधारहीन भी नहीं है कराची स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध 25 सबसे बड़ी पाकिस्तानी कंपनियों की बाजार पूंजीकरण (शेयरों के आधार पर किसी कंपनी की कीमत को बाजार पूंजीकरण कहा जाता है) के लिहाज से कीमत 13 अरब डॉलर है विख्यात कारोबारी पत्रिका फोब्स के मुताबिक भारत के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति विप्रो के मालिक अजीम प्रेमजी 17 अरब डॉलर के मालिक है अगर इस पैमाने पर देखें, तो अकेले अजीम प्रेमजी ही पाकिस्तान की शीष 25 कंपनियों को खरीद सकते हैं और इसके बाद भी प्रेमजी फोब्स की सूची में बने रहेंगे ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान में कारोबारी कौशल वाले लोग नहीं हैं, लेकिन अस्थिर अंदरुनी हालात और बड़े बाजार के अभाव में व्यापार की गाड़ी आगे नहीं ब़ढ पायी है भारत के साथ व्यापारिक संबंध ब़ढाने से पाकिस्तान को दोहरा फायदा होगा एक तरफ भारतीय कंपनियों का कारोबारी कौशल व तकनीक पाकिस्तानी व्यापारियों को मिलेगी, वहीं पाकिस्तानी कंपनियों के सामने फैलाव के लिए भारत जैसे विशाल बाजार होगा



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